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‘बच्चों का भविष्य फुटबॉल नहीं है’, दिल्ली HC ने MCD और ASI को लगाई फटकार, दिया ये निर्देश

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खिड़की गांव के 350 से ज़्यादा बच्चों का भविष्य सालों से अधर में लटका है और दिल्ली हाई कोर्ट ने अब इस पर कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की लापरवाही पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “यह मामला बच्चों की शिक्षा का है, लेकिन आप लोग इसे फुटबॉल समझकर एक-दूसरे पर लुका-छिपी का खेल खेल रहे हैं”. कोर्ट ने दोनों विभागों को सख्त चेतावनी दी कि यदि 14 दिनों के भीतर स्कूल के पुनर्निर्माण की अनुमति नहीं दी गई तो उनके वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जाएगी.

2013 में रखी गई थी नींव, 2025 में भी नहीं बनी इमारत

दिल्ली के खिड़की गांव स्थित एमसीडी का यह प्राथमिक विद्यालय 1949 में बना था, जो कि ASI संरक्षित यूसुफ क़त्ताल के मकबरे की दीवार से सटा हुआ था. 2013 में पुनर्निर्माण की नींव रखी गई, लेकिन ASI ने स्मारक सुरक्षा का हवाला देते हुए काम रुकवा दिया. इसके बाद से नौकरशाही की चिट्ठियों में यह स्कूल अटका पड़ा है.

एक साल पहले मिला था कोर्ट का आदेश, अब भी लटका मामला

दिल्ली हाई कोर्ट ने मई 2024 में ही आदेश दिया था कि अनुमति की प्रक्रिया 6 हफ्ते में पूरी हो. लेकिन अब, पूरे एक साल बाद भी कोई निर्णय नहीं लिया गया. इस पर कोर्ट ने कहा, “यह अदालत का आदेश है, कोई सुझाव नहीं. यदि अगली सुनवाई तक अनुमति नहीं मिली, तो संबंधित अधिकारियों को अदालत के सामने जवाबदेह बनना होगा”.

बच्चों का दो किलोमीटर लंबा संघर्ष

स्कूल के गिराए जाने के बाद 350 से ज़्यादा बच्चों को 2 किलोमीटर दूर सवित्री नगर के स्कूल में शिफ्ट कर दिया गया. इससे न केवल बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई बल्कि परिजनों के लिए भी यह रोज़ की मुसीबत बन गई. स्थानीय निवासी 2009 से लगातार इस स्कूल के लिए प्रयास कर रहे हैं.

6 मई को बैठक, 28 मई को सुनवाई – हाई कोर्ट 

कोर्ट के निर्देश पर अब ASI और MCD के वरिष्ठ अधिकारी 6 मई को सुबह 11:30 बजे बैठक करेंगे. इनमें ASI के उत्तर क्षेत्रीय निदेशक अनिल कुमार तिवारी और MCD की शिक्षा अधिकारी अनिता नौटियाल शामिल होंगी. कोर्ट ने साफ कहा है कि अगली सुनवाई 28 मई को होगी और अगर तब तक समाधान नहीं हुआ, तो सीधे कार्रवाई की जाएगी.

 

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