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पहलगाम आतंकी हमले में मुंबई से सटे डोम्बिवली के 3 यात्रियों की मौत, परिवार ने सुनाई अपनी पीड़ा

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Kashmir Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मुंबई से सटे डोम्बिवली के रहने वाले तीन लोगों की मौत हो गई. परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है. इतना ही नहीं दोस्त और सोसाइटी में रहने वाले पड़ोसी भी दुखी हैं. इलाके में शोक का माहौल है.

पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए अतुल मोने के घर वाले शोक में डूबे हैं. परिवार को चिंता इस बात की है कि मोने के बाद घर वालों का क्या होगा. उनकी साली राजश्री आकुल ने कहा कि मेरे जीजा बहुत ही अच्छे व्यक्ति थे और उनकी याद बहुत आ रही है. उन आतंकियों ने जिस तरह से मेरे जीजा की हत्या की उन्हें इसी तरह की कड़ी सजा मिलनी चाहिए. मेरे जीजा उनके परिवार का पालन पोषण कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि मेरी सरकार से मांग है कि उनकी बेटी के लिए जरूर कुछ करें उनकी बेटी को CA बनना था, उनकी बेटी कि 11वीं की परीक्षा खत्म हुई थी और 12वीं अगले साल था उन्हें पता था कि अगले साल में कहीं नहीं जाना है उससे पहले एक ट्रिप पर जाना चाह रही थी और यह हादसा हुआ. अतुल की सास ने कहा कि मुझे तो बोलते ही नहीं हो रहा है, मुझे कल पता चला और अतुल की सास फूट फूट कर रोने लगी.

वहीं साली के पति राहुल ने कहा कि उनके पेट में गोली मारी गई और गोली मारने वाले बड़े ही बेरहम लोग थे. उन्होंने किसी के सिर में गोली मारी तो किसी के पेट में गोली मारी. महिलाओं और बच्चों के सामने घर के पुरुषों को गोली मार दी.

वहीं मृतक संजय लेले के कजिन भाई माधव लेले ने ABP न्यूज़ से बातचीत की और बताया कि अपने परिवार के साथ कश्मीर घूमने गए थे. छुट्टियां मनाने गए थे. मैं उन्हें बचपन से देख रहा हूं और काफी सहज इंसान थे. कभी किसी से अनबन नहीं थी. चिंता इस बात की है कि उनके बच्चे बीवी का ख्याल कौन रखेगा. सरकार को जरूर कुछ करना चाहिए जिससे इस तरह की टूरिस्ट कैसे कश्मीर जाएंगे ऐसी चीज होती रहेगी. मुझे लगता है टूरिस्ट को वहां जाना बंद करना चाहिए.

संजय लेले के पड़ोसी चंद्रकांत पाटिल ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत की और बताया कि संजय लेले मेरे बच्चे जैसा था मेरी बेटी को मैथ्स पढ़ाते थे और उन्हीं की वजह से मेरी बेटी को डेढ़ सौ में से डेढ़ सौ नंबर भी आए थे. इतना अच्छा आदमी था कि मैं बयान नहीं कर सकता. आज मैं 70 साल का हूं और इस तरह की आतंकी हमले कभी रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. सरकार को इस संदर्भ में कुछ कठोर कदम ज़रूर उठाने होंगे.

जबकि हेमंत जोशी का परिवार तो यहां नहीं है. हेमंत जोशी अपने बेटे और बीवी के साथ कश्मीर घूमने गए थे. बेटे की दसवीं की परीक्षा खत्म हुई थी और छुट्टियां चल रही थी और इसी छुट्टियों का इंतजार परिवार कर रहा था. हेमंत की समिति के सदस्यों ने बताया कि हेमंत का स्वभाव बहुत ही प्यारा था. उन्होंने समिति का सेक्रेटरी का पद संभाल रखा था. हमेशा समिति के कल्याण के लिए ही बातचीत करते थे, उन्हें लेकर सोसाइटी में कभी किसी की कोई शिकायत नहीं मिली.

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