Lucknow News: उत्तर प्रदेश सरकार राज्य की ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने और उन्हें पर्यटन से जोड़ने के लिए बड़ा कदम उठा रही है. प्रदेश के पर्यटन विभाग ने 11 और विरासत संपत्तियों को संरक्षित कर उन्हें हेरिटेज होटल, म्यूजियम या अन्य पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके लिए निजी निवेशकों की भागीदारी के लिए टेंडर जारी किए गए हैं.
पर्यटन और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि इन किलों, महलों और हवेलियों के संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति, पारंपरिक भोजन और हस्तशिल्प को भी बढ़ावा दिया जाएगा. इन स्थलों के आसपास के गांवों को भी गोद लेकर उनका समग्र विकास किया जाएगा, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर मिल सकें.
अर्थव्यवस्था को मिलेगी गति- पर्यटन मंत्री
उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद केवल ऐतिहासिक इमारतों को संजोना नहीं, बल्कि उन्हें आधुनिक उपयोग में लाकर राज्य की अर्थव्यवस्था को भी गति देना है. जयवीर सिंह ने कहा कि इन धरोहरों को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP मॉडल) के तहत पुनर्विकसित किया जा रहा है. इनमें पर्यटन सुविधाओं के साथ-साथ कॉन्फ्रेंस सेंटर और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं.
इस योजना में झांसी का टहरौली किला, महोबा का मस्तानी महल और सेनापति महल, ललितपुर का बालाबेहट किला, बांदा का रंगगढ़ किला, गोंडा की वजीरगंज बारादरी और लखनऊ का आलमबाग भवन, गुलिस्तान-ए-इरम व दर्शन विलास शामिल हैं. ये सभी स्थल अपने ऐतिहासिक महत्व और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध हैं.
निवेशकों के सहयोग से ऐतिहासिक स्थल किये जा रहे विकसित
पहले चरण में विभाग पहले ही कई ऐतिहासिक स्थलों को निजी निवेशकों के सहयोग से विकसित कर रहा है. इनमें बरुआसागर किला (झांसी), चुनार किला (मिर्जापुर), लखनऊ की छतर मंजिल व कोठी रोशन-उद-दौला, और कानपुर देहात की बारादरी जैसी इमारतें शामिल हैं.
मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखते हुए बुंदेलखंड और अन्य क्षेत्रों के ऐतिहासिक स्थलों का पुनरुद्धार किया जाएगा. इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और राज्य की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.
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