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राज ठाकरे-उद्धव ठाकरे के बीच कैसे आई थी दरार? कैसे हैं रिश्ते, जानें सबकुछ

राज-ठाकरे-उद्धव-ठाकरे-के-बीच-कैसे-आई-थी-दरार?-कैसे-हैं-रिश्ते,-जानें-सबकुछ

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में ठाकरे ब्रदर्स को लेकर चर्चा तेज हो गई है. एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे की ओर से अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे को साथ आने के प्रस्ताव के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल काफी बढ़ गई है. मनसे अध्यक्ष ने कहा है कि महाराष्ट्र और मराठियों के अस्तित्व के आगे उद्धव ठाकरे और उनके बीच के झगड़े बहुत छोटे हैं. साथ आने की चर्चा के बीच हम विस्तार से जानते हैं कि राज ठाकरे का शिवसेना से कब अलगाव हुआ था, उद्धव ठाकरे से उनके क्या मतभेद रहे और अभी दोनों के बीच रिश्ते कैसे हैं.

राज ठाकरे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के संस्थापक अध्यक्ष हैं. उन्होंने 9 मार्च 2006 को पार्टी की स्थापना की थी. वो शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के भतीजे हैं. बाल ठाकरे की तरह ही दमदार और भड़काऊ भाषण के लिए जाने जाते हैं. महाराष्ट्र की राजनीति में अपना मुकाम बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

2009 में पहली बार विधानसभा चुनाव में 13 सीटें जीतीं

राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने साल 2009 में पहली बार विधानसभा चुनाव में 13 सीटें जीतीं. साल 2014 में 1 सीट पर पार्टी सिमट गई. 2009 और 2014 लोकसभा चुनाव में खाता नहीं खुला. 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा. 2019 के विधानसभा चुनाव में 101 सीटों पर उम्मीदवार उतारे लेकिन महज 1 प्रत्याशी को जीत मिली. 

राज ठाकरे की पार्टी MNS की पकड़ कहां कहां?
        
राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस को बने करीब 18 साल हो गए. उन्हें अभी तक राज्य की सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली. जब मनसे का गठन हुआ था तब महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार थी, उसके बाद 2014 में बीजेपी सत्ता में आ गई. राजनीति के जानकारों की मानें तो राज ठाकरे की पार्टी की पकड़ पूरे राज्य पर नहीं है. राज ठाकरे का प्रभाव क्षेत्र मुंबई और नासिक के इलाके में है. 

राज ठाकरे ने क्यों शिवसेना से अलग रास्ता बनाया?

बालासाहेब ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे ने 27 नवंबर 2005 को शिवसेना से इस्तीफा दिया था. उसके बाद 9 मार्च 2006 को मुंबई में ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की स्थापना की. शिवसेना से बाहर निकलने का मुख्य कारण पार्टी के भीतर सत्ता संघर्ष को माना गया. राज का उग्र मराठी-हिंदुत्व रुख, उद्धव का संतुलित दृष्टिकोण रहा. चचेरे भाई उद्धव ठाकरे को उत्तराधिकारी के रूप में तैयार किया जाना उनको नहीं भा रहा था. साथ वो बाल ठाकरे की तरह पार्टी का नेतृत्व करने के उद्धव के तरीके से संतुष्ट नहीं थे. इसके अलावा आंतरिक पारिवारिक गतिशीलता ने भी दोनों के बीच अलगाव में एक भूमिका निभाई.

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच अभी कैसे हैं रिश्ते?

एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (UBT) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बीच साल 2025 में एक विवाह समारोह में मुलाकात हुई. इसके बाद दोनों के बीच सियासी सुलह की अटकलें लगाई जाने लगीं. दोनों चचेरे भाई, लेकिन राजनीतिक दूरी अभी बरकरार है. पारिवारिक बंधन है, लेकिन अहं और वैचारिक मतभेद गठबंधन में रोड़ा हैं. हालांकि राज ठाकरे ने ऐसा बयान दिया है जिससे दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने की संभावना है. उन्होंने कहा, ”महाराष्ट्र और मराठियों के अस्तित्व के आगे उद्धव और उनके झगड़े बहुत छोटे हैं. महाराष्ट्र बहुत बड़ा है. उनके लिए उद्धव के साथ आना और साथ में रहना कोई मुश्किल काम नहीं हैं.”

BMC में उद्धव और राज ठाकरे की हैसियत और चुनौतियां

  • उद्धव ठाकरे की स्थिति: शिवसेना (UBT) का 2017 में 84 सीटों के साथ दबदबा, अब कमजोर.
  • राज ठाकरे की स्थिति: MNS के 7 पार्षद (2017), अब प्रभाव नगण्य. 
  • उद्धव ठाकरे की चुनौतियां: बीजेपी-शिंदे गठबंधन, MVA में सीट बंटवारे की समस्या
  • राज ठाकरे की चुनौतियां: संगठन और वित्त की कमी, कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर. 
  • बीजेपी का दबाव: एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस की रणनीति दोनों के लिए खतरा
  • गठबंधन की चर्चा: उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच सुलह से मराठी वोटों का ध्रुवीकरण संभव है. उद्धव का आधार मजबूत है, राज की वापसी मुश्किल है. वहीं, गठबंधन गेमचेंजर हो सकता है.

 

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